۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
आगा

हौज़ा/इन्क़ेलाबे इस्लामी के नेता ने सैकड़ों उद्योगपतियों, इंटरप्रिनियोर्ज़ और नॉलेज बेस्ड कंपनियों के मालिकों से मुलाक़ात में मुल्क के रौशन भविष्य के लिए तेज़ रफ़्तार से लगातार आर्थिक तरक़्क़ी को ज़रूरी बताया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने संबोधन में सातवीं विकास योजना में न्याय और समानता पर आधारित तरक़्क़ी को प्राथमिकता दिए जाने की याददेहानी करते हुए आर्थिक तरक़्क़ी के साधन और ज़रूरी कामों का ज़िक्र किया। उन्होंने बल दिया कि आर्थिक मुद्दों और परिवारों की ज़िन्दगी में कठिनाइयों ने आर्थिक तरक़्क़ी को पूरी तरह ज़रूरी बना दिया है।
उन्होंने उद्योग और प्रोडक्शन के मैदान में सरगर्म लोगों के जज़्बे, उम्मीद से भरी बातों और लगने के साथ जारी सरगर्मियों पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है मुल्क प्राकृतिक संसाधन, भौगोलिक, वैज्ञानिक और राजनैतिक पोज़ीशन और ख़ास तौर पर मैन पावर के मद्देनज़र, मुल्क की तरक़्क़ी की सलाहियत और गुंजाइश बहुत ज़्यादा और कुछ मैदानों में असाधारण है जिसकी बदौलत ईरानी क़ौम का भविष्य और ईरान की तरक़्क़ी की संभावना मौजूद अनुमानों से कहीं ज़्यादा है।
इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इस मुलाक़ात में मौजूद, सरकारी अधिकारियों ख़ास तौर पर उपराष्ट्रपति से कहा कि इस मुलाक़ात में आर्थिक क्षेत्र में सरगर्म लोगों की वाजिब शिकायतों और अपेक्षाओं के सिलसिले में आर्थिक क्षेत्र के सरगर्म लोगों पर आधारित वर्किंग ग्रुप बनाइए और लगातार काम करके, मुश्किलों को दूर कीजिए और अगर ऐसा हो गया तो मुल्क की आर्थिक तरक़्क़ी अमली शक्ल हासिल कर लेगी।
उन्होंने मैनेजमेंट की कमियों के साथ साथ पाबंदियों और परमाणु मामले पर मुल्क का ध्यान  केन्द्रित होने के नतीजे में अर्थव्यवस्था के लिए पैदा होने वाली सीमितताओं को पिछले दशक में मुल्क के आर्थिक लेहाज़ से पिछड़ने की कुछ वजहें बताया।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि इस पिछड़ेपन की भरपाई के लिए कम से कम 10 साल लगातार कोशिश और लगातार आर्थिक तरक़्क़ी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हम ने सातवीं विकास योजना में न्याय और बराबरी पर आधारित आर्थिक तरक़्क़ी को प्राथमिकता दी है क्योंकि बराबरी बहुत अहम चीज़ है और अगर यह न हो तो सही मानी में तरक़्क़ी नहीं हुयी है, इसी के साथ तरक़्क़ी की औसत दर भी 8 फ़ीसद रखी गयी है और अगर इस पर अमल हो गया तो अगले पाँच बरस में अच्छी तरक़्क़ी होगी।
उन्होंने तेज़ रफ़्तार व लगातार आर्थिक तरक़्क़ी की ज़रूरत की वजह बयान करते हुए सभी अधिकारियों, उद्योगपतियों और आर्थिक क्षेत्र में सरगर्म लोगों को चार अहम बिन्दुओं पर ध्यान देने पर ताकीद की।
पहली वजह, साफ़ महसूस होने वाली आम जन की आर्थिक मुश्किलें और परिवारों की सुविधाओं की रुकावटे हैं।  
उन्होंने इन मुद्दों को तेज़ रफ़्तार आर्थिक तरक़्क़ी की ज़रूरत को समझने के लिए बहुत अहम  क़रार दिया और कहा कि ग़रीबी और लोगों की आर्थिक मुश्किलों का अंत और उनके लिए सुख सुविधा को यक़ीनी बनाना, आर्थिक तरक़्क़ी के बिना मुमकिन नहीं है और सभी अधिकारियों, प्रशासनिक, वैचारिक और माली सलाहियत रखने वाले लोगों के कंधों पर इस सिलसिले में भारी ज़िम्मेदारी है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इलाक़े सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था में ईरान की पोज़ीशन को ऊपर लाने और दसियों लाख शिक्षित लोगों के लिए रोज़गार पैदा करने को इस सिलसिले में दूसरी और तीसरी वजह क़रार दिया।
उन्होंने कहा कि स्किल्ड जवान वर्क फ़ोर्स का होना फ़ख़्र की बात है लेकिन उसका बेरोज़गार होना शर्मिंदगी की बात है, पढ़ा लिखा व फ़ायदेमंद नौजवान मुल्क से रोज़गार और तरक़्क़ी का मौक़ा चाहता है और जवानों के लिए रोज़गार पैदा किए बिना हमें उनसे शिकायत नहीं करना चाहिए कि आप क्यों दूसरे मुल्क जा रहे हैं, यक़ीनी तौर पर इतनी बड़ी तादाद में स्किल्क व माहिर नौजवानों के लिए रोज़गार मुहैया करने के लिए ज़रूरी है कि तेज़ रफ़्तार से लगातार आर्थिक तरक़्क़ी हो।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आर्थिक तरक़्क़ी की चौथी वजह निकट भविष्य में नौजवानों के लेहाज़ से मुल्क की आबादी की अस्पष्ट स्थिति को क़रार दिया।
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता ने अपने संबोधन के एक हिस्से में आर्थिक तरक़्क़ी को व्यवहारिक बनाने के लिए ज़रूरी मामलों का ज़िक्र किया जिनमें कुछ का संबंध अधिकारियों और आर्थिक क्षेत्र में सरगर्म लोगों से है और कुछ का संबंध आम लोगों से है।
उन्होंने इस सिलसिले में, प्रोडक्शन के लिए पूंजीनिवेश में इज़ाफ़े और प्रोडक्टिविटी के स्तर में बेहतरी को आर्थिक तरक़्क़ी के दो मुख्त स्तंभ बताए। उन्होंने कहा कि कुछ मैदानों में, जैसे प्राकृतिक संसाधन से फ़ायदा उठाने के संबंध में कुशलता वाक़ई बहुत कम है।
उन्होंने इल्म व टेक्नॉलोजी के स्तर को बेहतर बनाने को आर्थिक तरक़्क़ी के लिए ज़रूरी बताया और यूनिवर्सिटियों तथा इल्मी, साइंसी और रिसर्च सेंटरों से इस पर ध्यान देने की सिफ़ारिश की।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आज बहुत से विभागों में हासिल होने वाली कामयाबियों को क़रीब पंद्रह साल पहले शुरू हुयी इल्मी व साइंसी मूवमंट का नतीजा क़रार दिया और कहा कि नौजवान वैज्ञानिकों को, इन्टरनैश्नल साइंटिफ़िक फ़्रंट लाइन को भी पार कर जाना चाहिए और इस आरज़ू को व्यवहारिक बनाना चाहिए कि अगर पचास साल बाद कोई नई साइंटिफ़िक रिसर्च को जानना चाहे तो उसे फ़ारसी ज़बान सीखनी पड़े।
उन्होंने आर्थिक तरक़्क़ी के लिए ज़रूरी मामलों में पानी सहित प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के तरीक़े पर चर्चा की। इसी तरह उन्होंने आर्थिक तरक़्क़ी के लिए ज़रूरी मामलों में सरकारी विभाग के कर्मचारियों और फ़ोर्सेज़ सहित सभी विभागों की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने पर भी ताकीद की।
इस मुलाक़ात में मेडिकल, डेन्टिस्ट्री, फ़ार्मास्यूटिकल विभाग के एडवांस्ड संसाधन, टेक्निकल और इंजीनियरिंग सेवाओं, वुड ऐन्ड सैलुलोज़ इंडस्ट्री, खेती, फ़िशरीज़ और खारे पानी को मीठा बनाने के उद्योग, रिन्युएबल एनर्जी के उपकरण निर्माण, तेल व गैस उद्योग, पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स, डेटा प्रॉसेसिंग और एआई, डिजिटल ट्रेड, क़ालीन सहित बुनाई उद्योग के 14 उद्योगपतियों, इंटरप्रिनियोर्ज़ और निजी सेक्टर की नॉलेज बेस्ड कंपनियों के मालिकों ने अपनी कामयाबियों, कारनामों और प्रोडक्शन के बारे में रिपोर्टें पेश कीं और इसी तरह अपने अपने विभागों से संबंधित कुछ मुश्किलों का भी ज़िक्र किया और साथ ही कुछ सुझाव भी पेश किए।
 

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